ये जमाने
ये जमाने आज फिर किसी का चेहरा जला वो लोग चले गए उसने प्यार करने से मना किया वो लोग लाश बनाकर चले गए दिल मिलाने का सोचा था गुस्सा दिखाकर चले गए ये लोग क्या प्यार करेंगे जो झूठी मर्दांगी दिखा चले गए इस पीढ़ी ने ये शौक पाला है जबरन प्यार माँगते चले गए बेटी ने अंधेरे को भविष्य समझा बाप बेहतर कल को तरसते चले गए वो बेऔलाद सत्ता में बैठे वादा करते-करते चले गए सुननेवालो ने औलादे खोई सब आए रोकर चले गए फिर वहाँ किसी को ईश्क न हुआ कितने ही ज़माने चले गए ऐसा जीवन हुआ वहाँ मानो बिन जन्मे ही मरते चले गए !! ****** इस जमाने में कुछ ढूँढता सा रह गया, उसकी आवाज़ के लिए सब सह गया, जिस इंसान के लिए हर वक़्त हर वक़्त से लड़े वो इंसान तुम कौन हो कह गया, इस जमाने में कुछ ढूँढता सा रह गया, ये नूर, हुस्न और जाने क्या-क्या गया उस बाढ में जो भी आया सब बह गया, इश्क़ में तो मीर ग़ालिब के भी घर गिरे तो मैं क्या था , मेरा मकाँ भी ढह गया, मैं कुछ बोलता उसे तो लबो पर हम था हमराही तो कही चला गया मैं रह गया, ******* अन्तरयुद्ध उलझने क्या बताऊँ ज़िन्दगी की अब, जब जंग ख़ुद से ख़ुद