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Showing posts from February, 2021

ये जमाने

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 ये जमाने  आज फिर किसी का चेहरा  जला वो लोग चले गए उसने प्यार करने से मना किया वो लोग लाश बनाकर चले गए दिल मिलाने का सोचा था गुस्सा दिखाकर चले गए ये लोग क्या प्यार करेंगे जो झूठी मर्दांगी दिखा चले गए इस पीढ़ी ने ये शौक पाला है जबरन प्यार माँगते चले गए बेटी ने अंधेरे को भविष्य समझा बाप बेहतर कल को तरसते चले गए वो बेऔलाद सत्ता में बैठे वादा करते-करते चले गए सुननेवालो ने औलादे खोई सब आए रोकर चले गए फिर वहाँ किसी को ईश्क न हुआ कितने ही ज़माने चले गए ऐसा जीवन हुआ वहाँ मानो बिन जन्मे ही मरते चले गए !! ****** इस  जमाने में कुछ ढूँढता सा रह गया, उसकी आवाज़ के लिए सब सह गया, जिस इंसान के लिए हर वक़्त हर वक़्त  से लड़े वो इंसान तुम कौन हो कह गया, इस  जमाने में कुछ ढूँढता सा रह गया, ये  नूर, हुस्न और  जाने क्या-क्या गया उस बाढ में जो भी आया सब बह गया, इश्क़ में तो मीर ग़ालिब के भी घर गिरे  तो मैं क्या था , मेरा  मकाँ भी ढह गया, मैं कुछ बोलता उसे तो लबो पर हम था हमराही तो कही चला गया मैं रह गया, ******* अन्तरयुद्ध उलझने क्या बताऊँ ज़िन्दगी की अब, जब जंग ख़ुद से ख़ुद

नास्तिक नहीं हु

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नास्तिक नहीं हु  में नास्तिक नहीं हु बस फर्क सोच का है जो आपमें और मुझमे भेद करवाता है  आप मिलोका सफर तय कर उसे मिलने जाते हो में उसे घरमे ही मिल लिया करती हु  आप आस्था से जो बनपड़े वो पेटी में डालते हो  में उन्ही रुपियोसे किसा का पेट भर दिया करती हु  आप माथा टेके मिन्नते मांगते हो  में हात जोड़े दुआ ले आती हु  आप उसे खुश करने के लिए हवन करवाते हो  में उसे खुश करने के लिए किसी और को खुश कर आती हु  आप दूध भगवान को चढ़ाते हो  में दूध किसी गरीब के बच्चे को दे आती हु  आप अक्सर उसे मंदिरो में खोजा करते हो  में उसे झोपडी में तराशा करती हु अगर लगे अभी में नास्तिक हु  तो में नास्तिक रहना ही पसंद करती हु                           ******* मुझे समझने  के लिए मुझमें उतरना होगा, मेरी गिली आँखो से तुझे पानी भरना होगा, मोहब्बत ख़ुशी तो दो वक़्त की देती है बस इसे समझने  के  लिए इसमें जलना होगा, तुम कहते हो की मैं तुम्हारी बाते उड़ा दूँगा  तो ये देखने  के लिए पहले मुकरना होगा, हाँ नहीं  समझा हूँ  अभी तुझे पता है मुझे अभी तुझे थोड़ा पढ़ना और समझना होगा, इतनी जल्दी अगर मोहब्बत मील जा

दिल की कविताएं ❤

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 दिल की कविताएं ❤ कभी कभी इंसान खुद की सोच मे ही उलझ जाता है,  चाहते हुए भी उस उलझन से निकल नहीं पाता है,  खुद को अंदर ही अंदर जलाता जाता है  होता कुछ नहीं बस इंसान उस सोच के कारण टूटकर  बिखर जाता है,  फिर देता है अपने आप को उम्रकैद की सजा  ****** बोलूं तो सही पर सुने कौन रो तो लूं पर किसके सामने  बस वो एहसास वापिस चाहिए  कुछ न पाकर भी सबकुछ वापिस चाहिए  में सच बोलूं  तो अब फर्क नहीं पड़ता  बोलते बोलते थक गई पर कोई है ही नहीं एक अकेला कमरा शायद बंद है  चीखूं, रो लूं, या दिल की बात कह दूं  कोई सुनने को है ही नहीं  यार अब सीने में दर्द सा होता है  सांस सी रुक गई है कोई कुछ भी कहे, दिल की धड़कन जैसे रुक सी गई  बस वो एहसास वापिस चाहिए कुछ न पाकर भी सबकुछ वापिस चाहिए  यार मेरी खुशी वापिस चाहिए  में डूब रही  बस हाथ बचा है  कोई पकड़ के बचा लो  कहीं देर न होजाए  बस मेरी खुशी वापिस चाहिए  यार,  बस वो एहसास वापिस चाहिए  कुछ न पाकर भी सबकुछ वापिस चाहिए । ******** क्या धुन थी उसकी,क्या उसके बोल थे, संगीत भी सब मिला था माप तोल के, नींद में ही आई थी वो कविता, गलती

कुछ पंक्तियां

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 कुछ पंक्तियां नकाब दर नकाब चढ़े चेहरों को आइनों से खतरा है दीमकों जैसे इस समाज को रोशनी से खतरा है भेड़िए हुए है सब यहां इन्हें मासूमियत से खतरा है घृणा द्वेष से बिलबिलाता इंसान इसे प्रेम भाव से खतरा है होंगे कुछ इंसान भी यहां चुप हैं लाचार है बेबस हैं व्यभिचार के प्रचंड तांडव से त्रस्त भगवान की इस पवन श्रृष्टि को उनकी बेबसी उनकी चुप्पी से खतरा है **** तुम जवां हो गई  पर,मै बचपन से निकला हि नहीं जिस राह से जाती रही, बस उसके पीछे चला अभी भी, वहीं जिद्द शरारत और सपने सजाए हुए तुमसे ब्याह रचाने की, बनारस घुमाने की और वो कुल्हड़ वाली चाय पिलाने की ये बेफिजूल लगती है तुम्हे, बेतुकी, और बेवकूफी भी हंसी आती है मेरे बातों पर पर तुम हो रुकी हुई तुम जवां हो गई  पर,मै बचपन से निकला हि नहीं जो दिल मचला था, अब तक है मचला हमाकत कहो हमारी या नादानी या इश्क़ में डूबा देवदास न चंद्रमुखी है, ना पारो है फिर भी रुक नहीं रही उसकी रास ! ****** हलचल करती हुई नदी नही , गहरे समुन्दर जैसा शान्त बनना तुम , कश्मकश से उलझी जिन्दगी नही , उजली किरणों से रंगी , खुली किताब लिखना तु

तु नदी है, तुझे बहना होगा।

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तु नदी है,      तुझे बहना होगा। पहाड़ों सी बाधाओं को मैदान के घुमाओ को मरू भूमी के उथलेपन को पठारो की चट्टानों को आगे बढ़कर सहना होगा   तु नदी है,  तुझे बहना होगा। कंकड़ की चुभन से उछलेगी,  तो नरम मृदा सहारा देगी  सूरज की तपन से मचलेगी तो चंद्रप्रभा सहला देगी इन सारे पलो को चाहना  होगा । तु नदी है,  तुझे बहना होगा। बांध बना ये रोकेंगे, राह काट के सोखेंगे तेरी छवि धूमिल कराएंगे। तुझे अपवित्र ये बनाएंगे  अपने अस्तित्व में तुझे रहना होगा। तु नदी है,  तुझे बहना होगा। कभी शान्त  रह कभी विकराल बन  कभी ममत्व दिखा कभी काल बन  तुझे आपनी बात भी कहना होगा। तु नदी है,  तुझे बहना होगा। जो तू बहती जाएगी अपना गुण कहती जायेगी उस समुद्र को तुझसे मिलना होगा। तु नदी है,  तुझे बहना होगा। ******* इज्जत इज्जत के रखवालो जरा इज्जत की परिभाषा बता दो  किसी की आवाज को दबाना इज्जत है क्या  किसी को दिवारों में कैद करना इज्जत है क्या  किसी की उम्मीदों पे पानी फेर देना इज्जत है क्या किसी के सपनों को कुचलना इज्जत है क्या  किसी को गर्भ में मार देना इज्जत है क्या  किसी पर जोर आजमाना इज्जत है क्य

हामारे हिन्दूंस्तान

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हामारे  हिन्दूंस्तान शान-ए-भारत को दिल में  बड़े मान से रखती हूँ और इसके वास्ते  हथेली पर जान रखती हूँ, जहाँ की मिट्टी में बसती  हमारे वीरों की शौर्य गाथा ऐसे भारत को सिर झुकाकर  प्रणाम करती हूँ ! गीता और कुरान के बीच  जहाँ है शांति अपार ऐसे सद्भावना और सौहार्द पर  अभिमान करती हूँ, पुरातन संस्कृति को समेटे  इस नूतन आर्यवर्त के और  माँ भारती के आँचल में खड़े इस साम्राज्य के सम्मान को न पहुँचे ठेस कभी,  इस बात का ध्यान रखती हूँ! शंखनाद के बीच सवेरों ने  और अजान के बीच शामों ने किया है मेरे मन को प्रफुल्लित, ऐसे भारत में मिला जन्म मुझे,  इसलिए उस ईश्वर का मैं   सहृदय धन्यवाद करती हूँ! जिसकी धरती और गगन   है पहचान मेरी,  उसके तेजस्व का मैं दिल से  अदब और सम्मान करती हूँ! अद्वितीय और मनोरम है  विश्व के सिरमौर की संरचना, लहलहाते खेतों का,  बहती नदियों का,  बदलते मौसम का और दुल्हन बनी इस धरा का  मैं ऊँचे स्वर में बखान करती हूँ! जिसके मस्तक पर होगी  अपराजय की परिभाषा, ख्वाबों में ऐसा मुस्तकबिल  हिंदुस्तान का रखती हू ****** जुल्फों  काली घटा जुल्फों को घेरे  जमाल के समंद

इस देश को तुमने दिया क्या!

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इस देश को तुमने दिया क्या! जिस देश की मिट्टी में  सोना है उगले  उस मिट्टी को तुमने दिया क्या तुमने भी खेती किया क्या इस देश को तुमने दिया क्या! नेता को गाली बोले हैं सारे उस नेता को तुमने चुना क्या इस देश को तुमने दिया क्या! जिस हॉकी को खेले हैं दुनिया यह सारी उस हॉकी को तुमने दिया क्या एक और ध्यानचंद तुमने दिया क्या इस देश को तुमने दिया क्या! जिस चांद की बातें करते हैं सारे उस इसरो को तुमने दिया क्या एक और रमन या सीवन दिया क्या इस देश को तुमने दिया क्या! जो सरहद पर शहीद हुए हैं फौजी उनको उन फौजी को तुमने दिया क्या एक जवान देश को तुमने भी दिया क्या इस देश को तुमने दिया क्या! जिन डॉक्टर की बातें करते हैं सारे उन डॉक्टर को तुमने दिया क्या एक  वैक्सीन भी तुमने दी है क्या इस देश को तुमने दिया क्या! जय हिंद जय हिंद की सेना! ********* जिंदगी , मुश्किल है जिंदगी , तेरी हर ख्वाहिश पूरी करना। कभी मुझे खिलौना समझ,  खेलती है, कभी मुझे वाद्ययंत्र जान,  बजाती है, कभी मुझे मधुर ध्वनि मान, गुनगुनाती है। कभी गम देती है ,  कभी खुशी देती है, कभी मुझे हँसाती है,  कभी मुझे रूलाती है, कभी स

मज़हब

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मज़हब इंसानियत होती है क्या  ये खुद से तुम जब पूछोगे फिर न किसी रोती माँ से  ममता का मज़हब पूछोगे क्या प्यार बाप को  बेटों से कोई धर्म करना  सिखाता है या हम मानुज है पशु नहीं  ये मज़हब हमे बताता है सूरज आता नभ पर तो  क्या कुछ ही घर चमकाता है या करवा चौथ औऱ ईद पर  अलग चंद्रमा आता है क्या ताजमहल की शोभा पर  तुमको गर्व नही होता या दीवाली की जगमग पर  तुमको हर्ष नही होता प्रकृति ने जो किरदार दिया  उसको कैसे झुठलाते हो इंसान हो,इंसान रहो  कुछ और क्यों कहलाते हो ****** ख्वाहिश मुझमे मैं  बहोत हूं, मुझमें तू भी कहीं  हैं मेरी रूह में अक्स तेरा भी  हैं तेरी रूह मे खयाल मेरा भी हैं बहोत बाकी हूं तेरी नजरों से अभी  बहोत बाकी हैं तेरी नजरों की गलियाँ वक़्त को क्या हक्क है यूँ फुर्र हो जाने का  अभी बचपन नहीं गुज़रा ये उम्र गुजर गई अभी देखा नहीं आंख भर कर तूझे  तू हवा सी आयी और दफा भी हो गयी  जाने कितनी रह गई ख्वाहिशें अधूरी सी जाने कितनी प्यास रह गई अधूरी सी इन्हीं ख्वाहिशों और प्यास की आस में   जाने कितने अरमान मेरे शौक़ फना हो गए..  ******** साथ हूँ दिल के अंधेरे

गणतंत्र अब ठिठुर गया

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         गणतंत्र अब ठिठुर गया टकरा पाये हमसे कोई ,  किसमें इतना दम है, हिंदुस्तानी माँ का बेटा ,  जग में किससे कम है, गीदङ भभकी से ङर जाये ,  वो भारत की संतान नहीं, हम शेर हैं दुनिया के,  शायद तुम्हें पहचान नहीं, कान खोल कर सुन ले दुश्मन , चेहरे का खोल बदल कर रख देंगे, जो बीता, इतिहास हुआ ,  अबके भूगोल बदल कर रख देंगे, युद्ध अगर इस बार हुआ,  तो युद्ध विराम नहीं होगा, कश्मीर जहाँ है वहीँ रहेगा,  पर पाकिस्तान नहीं होगा. ..  कशमकश है बड़ी न जाने कौन है सही कही बिखर रहा है देश कही टूट रहा 'उनका' अभिमान है  जोर है कही ...हां! शोर है कही अब जवानों और किसानों में तकरार है  क्योंकि लड़ाई अब भी बरक़रार है  आखिर.... कौन गुनहगार है ? हो रहा बेसहारा खड़ा है ...अभी भी जो  खुद के हक़ के लिए लड़ रहा अब भी वो दूसरी ओर कही जवानों का बल भी दिख रहा है  देश के अपमान पर वो भी आगे खड़ा है  टुट है हर जगह ...अभी भी बवाल है ये सियासी दाव है या देश का सवाल है  जो भी हो तुम हक़ के लिए बेशक लड़ो  मगर.... मेरे देश का सवाल था  जिसका भी था गज़ब का बवाल था  उनका हक़ भी अब शायद बिखर गया  उनका बल

जिंदगी कविताएं

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        वो लड़की                           खुदी से भरी वह लड़की,             अडिग अपने पथ पर चलती रहती है            पहुँचेगी अपनी मंजिल-ए-इमारत पर कभी,             भर के उम्मीद आखों में आगे बढ़ती रहती है,           मरती नहीं वह हीरों पर , सीतारों सी चमक रखती है           चाँद नहीं ; वह सूरज सी दमक रखती है             हँसती है , मुस्कुराती है दिन भर,              वह रातों को दर्द सुनाती है              लड़-खड़ाती है डग-मगाती है,              वह फिरसे संभल जाती है             टूट जाती है बिखर जाती है,             वह फिर से सिमट जाती है            रोशन करना है नाम माँ-बाप का,             सोज़ ज़हन में रखती है           खुदी से भरी वह लड़की ,             अडिग अपने पथ पर चलती रहती है                🌺🌻🌹🌷 में साथ हूँ             दिल के अंधेरे कोनों मे भी           खुद को अकेला ना समझना कभी          साथ हूँ, हरदम, हर गलत हर सही         मैं साथ हूँ  !        जब मुस्कराओ तब साथ हूं       जब भृकुटी तनी हो तब साथ हूं        साथ हूँ तेरी खिलखिलाती हंसी मे       आंसुओं