दिल की कविताएं ❤


 दिल की कविताएं ❤

कभी कभी इंसान खुद की सोच मे ही उलझ जाता है, 

चाहते हुए भी उस उलझन से निकल नहीं पाता है, 

खुद को अंदर ही अंदर जलाता जाता है 

होता कुछ नहीं बस इंसान उस सोच के कारण टूटकर 
बिखर जाता है, 

फिर देता है अपने आप को उम्रकैद की सजा 

******

बोलूं तो सही पर सुने कौन
रो तो लूं पर किसके सामने 

बस वो एहसास वापिस चाहिए 
कुछ न पाकर भी सबकुछ वापिस चाहिए 

में सच बोलूं 
तो अब फर्क नहीं पड़ता 
बोलते बोलते थक गई पर कोई है ही नहीं

एक अकेला कमरा
शायद बंद है 
चीखूं, रो लूं, या दिल की बात कह दूं 
कोई सुनने को है ही नहीं 

यार अब सीने में दर्द सा होता है 
सांस सी रुक गई है
कोई कुछ भी कहे, दिल की धड़कन जैसे रुक सी गई 

बस वो एहसास वापिस चाहिए
कुछ न पाकर भी सबकुछ वापिस चाहिए 

यार मेरी खुशी वापिस चाहिए 

में डूब रही 
बस हाथ बचा है 
कोई पकड़ के बचा लो 
कहीं देर न होजाए 

बस मेरी खुशी वापिस चाहिए 

यार, 
बस वो एहसास वापिस चाहिए 
कुछ न पाकर भी सबकुछ वापिस चाहिए ।

********

क्या धुन थी उसकी,क्या उसके बोल थे,
संगीत भी सब मिला था माप तोल के,
नींद में ही आई थी वो कविता,
गलती बस यह हो गई,
सुबह होते ही वो कविता खो गई,

अब कागज कलम लेकर सोता हूँ,
उसकी तलाश मे,
लेकिन हर सुबह उठता हूँ,
बस हताश मै,
वो जो युंही बेहोशी मे निकल गई,
होश मे आए तो जहन से फिसल गई,
उस कविता की गजब क़यामत है,
इतनी सुंदर,जैसे खुदा की उतारी आयत है,
धिक्कार है इन आँखों पर जो उस रात बेफिक्र सो गई,
मेरी सबसे बडी दौलत थी वो कविता,सुबह होते ही खो गई ।।

*****



वो मुकाम_ए_हासिल मे मोहब्बत को,,,पत्थर कह के

जा रहें है,,,,बुलंदियों को अपना घर कह के,,


सितारों पर नई दुनिया बनाने का दिल में जज्बा ले के,,,


जरा देखा भी नहीं ,,,,नीचे,,,नजर कर के,,,


और 
उनकी खुशियों के लिए हम कबसे खामोश हो गए,,,


उन्हे इस बात का एहसास ही नहीं,,,,जो रो पड़ते थे,,,लोगो से हमारा जिकर कर के,,


चलो तुम कहते हो तो मान लेते है,,की हम उमके कबिल नहीं,,


जरा हम भी तो देखें,,,थोड़ा सबर कर के,,


उनसे बस माफी ही तो मांगी थी,,,जिसने हमारे मोहब्बत को गुनाह कह दिया ,,,माहीं


ऐ खुदा तुझे क्या मिला,,,,,मेरी खुशियों को ऐसे ज़हर कर के,,


जिस दिन मेरे अश्कों का,,,बांध टूटा,,,,तो डूब जाए गा,,ये सारा जहां,,


और उन्हें लगता है,,,,,हम खुश है,,उन्हे खुद से अलग कर के।।।😊

*****



मैनै जाना लेखक कौन है...

वियोग मे हर काम भूल जाए
एक लेख से झूम जाए,
हथियार की हत्या कर के
एक कलम को चूम जाए
जो सोता सपनो के लिए नही 
सोता है इसलिए की शब्द आए
एक मात्र मानव जो चाहता है 
उसकी रचना तूल पाए, 
सड़के सबके हिस्से मे आए
ऐसी आशा करता है
सड़कें भी खूबसूरत लगे 
उनके किनारे मे फूल आए,
करता हर बार प्रयत्न 
मिलता भी हर बार रत्न 
जो गढ़ा उसके द्वारा जाए
अभिव्यक्ति उसकी मूल आए
सुख, दुख, विस्मय जो आए
सबको अपनाता जाए, 
मनोरंजन का साधन लेकर
पावों से उड़ाता धूल जाए
देखी ना गरीबी जाए
यही सोच कर कुछ लिख जाए
कभी कभी जो ना लिख पाए, 
ह्दय मे गहरा शूल छाए

फिर अंदर से भी दिखता मौन है

 मैने जाना लेखक कौन है


*****


कोई  बात  तेरे  दिल  की  भी  कर  जाऊंगा  

समय  के साथ  मै भी  तो  मुकर जाऊंगा 

अतीत से हिस्सा  है  मेरा तू ना छोड़ना दोस्त 

अतीत  को  ढूंढने  भला  मै  किधर  जाऊंगा 

समझ  नहीं  आ  रहा तो  भी  कर  ले बर्दाश्त 

हमेशा थोड़ी  हूँ  दो  पल  में  गुजर जाऊंगा  

ना सहन  हो  तो  ना  बैठ  चुप रंज  कर  ले

तेरे  तो दिए  जख्म  से भी मै निखर जाऊंगा

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एक नाम जो 
कभी नही भूला जा सकता 
और वियुक्ति के पश्चात
ये पश्चाताप करना की
क्यूँ इस नाम को मै
अनसुना नही कर पाया 
वो नाम प्रेमिका या,
प्रेमी का नही अपितु 
प्रेमिका या प्रेमी के द्वारा
एक दूजे को प्रेम से 
दिया जाने वाला नाम है।

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Comments

  1. Kash aapki in bikhari huyi yaado ko me simat leta lekin kya karu kahi me bhi na in yaado me kahi bikhar jau !

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  2. Kash aapki in bikhari huyi yaado ko me simat leta lekin kya kare kahi me bhi na in yaadon me bikhar jau !

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