मज़हब

मज़हब
इंसानियत होती है क्या 
ये खुद से तुम जब पूछोगे
फिर न किसी रोती माँ से 
ममता का मज़हब पूछोगे
क्या प्यार बाप को 
बेटों से कोई धर्म करना
 सिखाता है


या हम मानुज है पशु नहीं 
ये मज़हब हमे बताता है
सूरज आता नभ पर तो 
क्या कुछ ही घर चमकाता है
या करवा चौथ औऱ ईद पर 
अलग चंद्रमा आता है

क्या ताजमहल की शोभा पर
 तुमको गर्व नही होता
या दीवाली की जगमग पर
 तुमको हर्ष नही होता
प्रकृति ने जो किरदार दिया 
उसको कैसे झुठलाते हो
इंसान हो,इंसान रहो 
कुछ और क्यों कहलाते हो

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ख्वाहिश
मुझमे मैं  बहोत हूं,
मुझमें तू भी कहीं  हैं

मेरी रूह में अक्स तेरा भी  हैं
तेरी रूह मे खयाल मेरा भी हैं

बहोत बाकी हूं तेरी नजरों से अभी 
बहोत बाकी हैं तेरी नजरों की गलियाँ

वक़्त को क्या हक्क है यूँ फुर्र हो जाने का 
अभी बचपन नहीं गुज़रा ये उम्र गुजर गई
अभी देखा नहीं आंख भर कर तूझे 
तू हवा सी आयी और दफा भी हो गयी 

जाने कितनी रह गई ख्वाहिशें अधूरी सी
जाने कितनी प्यास रह गई अधूरी सी
इन्हीं ख्वाहिशों और प्यास की आस में  
जाने कितने अरमान मेरे शौक़ फना हो गए.. 

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साथ हूँ
दिल के अंधेरे कोनों मे भी 
खुद को अकेला ना समझना कभी
साथ हूँ, हरदम, हर गलत हर सही
मैं साथ हूँ

जब मुस्कराओ तब साथ हूं
जब भृकुटी तनी हो तब साथ हूं
साथ हूँ तेरी खिलखिलाती हंसी मे
आंसुओं के हर कतरे के साथ हूँ
उल्लास में उदासी मे हर्ष मे उन्माद मे 
खुशी मे दुख मे क्रोध मे हंसी मे
मैं साथ हूँ, हर साँस मे हर बात मे

तू अकेली नहीं, अकेला ना समझना
मैं हूँ या नहीं हूं, पर तेरे साथ हूँ

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प्यार है तू 
बसन्त की शीतल बयार है तू 
सावन की रिमझिम फुहार है तू 
कोई और नहीं  
मेरे जीवन का प्यार है तू 
 
तू चन्द्रकिरण सी चंचल है  
तू गंगाजल सी शीतल है  
हृदयातल पर कामुक बाणों का प्रहार है तू 
कोई और नहीं  
मेरे जीवन का प्यार है तू 
 
सूरज सी तू दमक रही  
स्वर्ण कुम्भ सी चमक रही i 
स्वप्न हुआ जो साकार है तू 
कोई और नहीं  
मेरे जीवन का प्यार है तू 
 
पर्वत की तू ऊंचाई है  
सागर की तू गहराई है  
इस धरती का आकार है तू 
कोई और नहीं  
मेरे जीवन का प्यार है तू 
 
वन में ख़ग सी चहक रही  
चंदनवन सी तू महक रही  
मृगिनी के गले का हार है तू 
कोई और नहीं  
मेरे जीवन का प्यार है तू 
 
तू मातृसुख की पीड़ा है  
तू बालक की निश्छल क्रीड़ा है  
नव ब्याहता का श्रृंगार है तू 
कोई और नहीं 
मेरे जीवन का प्यार है तू 
 
तू सुर की देवी है तू स्वर तमाम  
तू मधुरमयी कोयल का गान 
मेरे जीवन का गीत मल्हार है तू 
कोई और नहीं  
मेरे जीवन का प्यार है तू 
 
तू है कवि का शब्दकोश  
तू है कुवेर का राजकोष  
मेरे जीवन का धन अपार है तू  
कोई और नहीं  
मेरे जीवन का प्यार है तू 
 
तू दीपक की ज्योति है 
तू सागर का मोती है  
तू प्रकाश है  
तू आकाश है  
तू श्तब्धनिशा है  
तू ऊषा है  
तू संध्या की लाली है  
तू खेतों की हरियाली है  
तू नभ का विस्तृत साया 
तू वृक्षों की शीतल छाया  
प्रकृति का पावन श्रृंगार है तू 
कोई और नहीं  
मेरे जीवन का प्यार है तू। 
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