गणतंत्र अब ठिठुर गया
गणतंत्र अब ठिठुर गया
टकरा पाये हमसे कोई ,
किसमें इतना दम है,
हिंदुस्तानी माँ का बेटा ,
जग में किससे कम है,
गीदङ भभकी से ङर जाये ,
वो भारत की संतान नहीं,
हम शेर हैं दुनिया के,
शायद तुम्हें पहचान नहीं,
कान खोल कर सुन ले दुश्मन ,
चेहरे का खोल बदल कर रख देंगे,
जो बीता, इतिहास हुआ ,
अबके भूगोल बदल कर रख देंगे,
युद्ध अगर इस बार हुआ,
तो युद्ध विराम नहीं होगा,
कश्मीर जहाँ है वहीँ रहेगा,
पर पाकिस्तान नहीं होगा.

कशमकश है बड़ी न जाने कौन है सही
कही बिखर रहा है देश कही टूट रहा 'उनका' अभिमान है
जोर है कही ...हां! शोर है कही
अब जवानों और किसानों में तकरार है
क्योंकि लड़ाई अब भी बरक़रार है
आखिर.... कौन गुनहगार है ?
हो रहा बेसहारा खड़ा है ...अभी भी जो
खुद के हक़ के लिए लड़ रहा अब भी वो
दूसरी ओर कही जवानों का बल भी दिख रहा है
देश के अपमान पर वो भी आगे खड़ा है
टुट है हर जगह ...अभी भी बवाल है
ये सियासी दाव है या देश का सवाल है
जो भी हो तुम हक़ के लिए बेशक लड़ो
मगर.... मेरे देश का सवाल था
जिसका भी था गज़ब का बवाल था
उनका हक़ भी अब शायद बिखर गया
उनका बल भी अब सिकुड़ गया
हाँ गणतंत्र अब ठिठुर गया
हाँ गणतंत्र अब ठिठुर गया ||
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