जिंदगी कविताएं
खुदी से भरी वह लड़की,
अडिग अपने पथ पर चलती रहती है
पहुँचेगी अपनी मंजिल-ए-इमारत पर कभी,
भर के उम्मीद आखों में आगे बढ़ती रहती है,
मरती नहीं वह हीरों पर , सीतारों सी चमक रखती है
चाँद नहीं ; वह सूरज सी दमक रखती है
हँसती है , मुस्कुराती है दिन भर,
वह रातों को दर्द सुनाती है
लड़-खड़ाती है डग-मगाती है,
वह फिरसे संभल जाती है
टूट जाती है बिखर जाती है,
वह फिर से सिमट जाती है
रोशन करना है नाम माँ-बाप का,
सोज़ ज़हन में रखती है
खुदी से भरी वह लड़की ,
अडिग अपने पथ पर चलती रहती है
🌺🌻🌹🌷
में साथ हूँ

दिल के अंधेरे कोनों मे भी
खुद को अकेला ना समझना कभी
साथ हूँ, हरदम, हर गलत हर सही
मैं साथ हूँ !
जब मुस्कराओ तब साथ हूं
जब भृकुटी तनी हो तब साथ हूं
साथ हूँ तेरी खिलखिलाती हंसी मे
आंसुओं के हर कतरे के साथ हूँ
उल्लास में उदासी मे हर्ष मे उन्माद मे
खुशी मे दुख मे क्रोध मे हंसी मे
मैं साथ हूँ, हर साँस मे हर बात मे
तू अकेली नहीं, अकेला ना समझना
मैं हूँ या नहीं हूं, पर तेरे साथ हूँ
🌺🌻🌹🌷
सच कहते हो
❤❤
सच कहते हो
हम से ही तो तुमको मिला
ये दर्द ये तकलीफ ये रंज
ये यादों का ज़हर
खामोशी बे-आवाजी़ ये
लब-बस्तगी, आंसू का बिछौना
ये सिस्की ये हिचकी
ये तकये का पुर-नम होना
सोच-ओ-तख़य्युल से भरी दुन्या
सच कहते हो
हम से ही तो तुमको मिला
ख़ालिस सराबो का ये स़ह़रा
हर गाम पे पहरा
सर-सब्ज मौसम में भी
हर सू ख़िजा़ धूप-ओ-तपिश
बस खुश्क साली
अंधेरा व जु़लमत
गर्मी व आतिश
पानी के रहते
शिद्दत की तिशनगी
और चोट का दरया
सच कहते हो
हम से ही तो तुमको मिला
ये क़फ़्स ये जंजीर
ये सख़्त ह़ालत
वीरान राहे और बे-मंजि़ल सफ़र
जीवन में बे-आरामी
ये रोज का मरना
ये रोज का जीना
ये लम्हा लम्हा की मौत
ये आह-ओ-जारी
मालूम हैं मुझको
तरपन ये धडकन ये चुभन
आखों में नम हरदम नमी
ये सांसे कम कम और कमी
मैंने कभी तुमको
तसकीन राहत ये नहीं बख्शी
मालूम हैं मुझको
सच कहते हो
हम से ही तो तुमको मिला
हाथों में ये कशकोल
दर दर का फिरना
पत्थर का खाना
ये मर्ग की सी कैफियत
ना मैं ह़रीफ-़ए-जां बना
ना मैं शरीक-ए-गम हुआ
बस और बस
वहशत बढाई
ना मैं कभी हमजोई की
लेकिन मेरा दावा है
तुम से मुहब्बत का
फिर कैसी ये मेरी मुहब्बत है
कैसी मेरी चाहत है
इकबाल है हमको
इस जुर्म का
आज़ाद हो तुम अब से
चाहत मुहब्बत रखने में
रिश्ता ये नाता रखने में
खुदी से भरी वह लड़की,
अडिग अपने पथ पर चलती रहती है
पहुँचेगी अपनी मंजिल-ए-इमारत पर कभी,
भर के उम्मीद आखों में आगे बढ़ती रहती है,
मरती नहीं वह हीर
दिल के अंधेरे कोनों मे भी
खुद को अकेला ना समझना कभी
साथ हूँ, हरदम, हर गलत हर सही
मैं साथ हूँ !
जब मुस्कराओ तब साथ हूं
जब भृकुटी तनी हो तब साथ हूं
साथ हूँ तेरी खिलखिलाती हंसी मे
आंसुओं के हर कतरे के साथ हूँ
उल्लास में उदासी मे हर्ष मे उन्माद मे
खुशी मे दुख मे क्रोध मे हंसी मे
मैं साथ हूँ, हर साँस मे हर बात मे
तू अकेली नहीं, अकेला ना समझना
मैं हूँ या नहीं हूं, पर तेरे साथ हूं
🌺🌻🌹🌷
कोन है तू
कोन है तू
अब भी एक सवाल है तू
शोर सा सन्नाटा है
या कोई तूफ़ान है तू
सपना है या है हकीकत
कोई ख्वाब है तू
गुल है या खार
तवक्को का बागान है तू
अकीदा है कोई
या कोई रस्म-रिवाज है तू
हिस्सा है तू मेरे इम्रोज का
या शख्स कोई खास है तू
शम्मा है या है फानूस
मेरे तम का चिराग है तू
लेहजा है तू प्यार का
या कोई गीत-ए-कमाल है तू
आगाज़ है जलते सोज़ का
किसी आजमाइश का अंजाम है तू
हबाब है दो लेहजों का
या उम्रों का दिलदार है तू
शहरयार है मेरे अरमानों की खुलद का
या बे-लौस किरदार है तू
जवाब है कोई गहरा सा
या अब भी सहल सवाल है तू
🙂🙂
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