दफ़न ....

दफ़न ....
दफ़न ....
       हर आरज़ू 
        हर सपना
खुद को भी दफ़न किया मैंने 
किसी और के सपने को पूरा करने के लिये,
उठा सवाल आईने में खड़े शख्स के सामने,
कौन हूँ मैं, क्या हूँ और क्यों हूँ 
खुश हूँ मैं क्योकि मुझसे जुड़े लोग खुश हैं 
जीना चाहती हूँ खुद के लिए,
करना चाहती हूँ जो दिल में हैं उसे,
ना चाहकर भी सपने,अपने दफ़न किये मैंने,
क्योकि कुछ रिश्तों की डोरियों ने इस कदर बांध दिया मुझे।

एक दिन ऐसा आया था,
नई ज़िन्दगी ने हमे पुकारा था,
रंग से थी मैं काली,
हर किसी ने कह ये ठुकराया था,
खुद से ही दूर गयी थी मैं,
जब नफरत खुद से हुई थी,
आखिर कमी कहाँ थी मुझमें,
बस रंग से ही तो काली थी,
सौ कमियां निकाली जाती थी मुझमें,
जब बात शादी की आती थी,
आखिर इंसान खुद में क्यों नही देखता,
कमिया तो हैं हर किसी में पाई जाती ,
दर्द उस वक़्त का ,कौन हैं समझता,
जब हमें showpieace बना ,
रिश्ते वालो के सामने हैं  रखा जाता

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सोच एक नही हमारी ,
हर दिन तो लड़ाई होती हैं 
हाँ बाते भी कहाँ रोज़ होती हैं 
पर शिकायते भी बहुत होती हैं
तुझसे बिना सोचे कुछ भी तो कह देती हूँ,
जबकि जानती हूँ ,मैं सही हूँ या गलत 
उसमे गलती हमेशा तुझे मेरी ही तो दिखती हैं,
सुनती नही मैं किसी की 
पर तेरी की बुराई को हँस के सुन लेती हूँ
और इसी हँसी मज़ाक में ही तुझसे,
अपना हर सुख दुख कह देती हूँ,
तू समझ भी लेता हैं मुझे,
और बातो ही बातों में सुनाके मुझको
मेरा साथ भी दे देता हैं
कितना समझता हैं ना मुझे तू
पर शिकायते फिर भी रहती हैं 
दो मिनट तो बनती नही हमारी 
पर क्या हम दूर भी रह लेते हैं 
बचपन से तो झेला हैं तुझको 
चलो आगे भी झेल लेते हैं 
दुआ करती हूँ भगवान से
ये रिश्ता ऐसे ही बना रहे,
कहती नही तुझे कभी 
पर हाँ दुआ तेरे अच्छे की रहती हैं

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तंग गलियों मे,
फसा के रखा था,
ज़ंग बेडियों से,
सजा के रखा था,

इज़ाज़त दी थी दिल को बस धडकने की,
कोशिश मगर पूरी थी इश्क़ से बचने की,
कुछ काम ना आया तेरे आगे,
मेरी आँखों ने ही पहल करी मुझे ठगने की  ।।



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क़दम – क़दम पे कड़ा इम्तेहान पहले सा
हमें मिला है नया हुक्मरान पहले सा।

जमीं की कोख में अपने लिए जगह ही नहीं
कहां तलाश करें इत्मीनान पहले सा।

पहाड़ टूटकर मिट्टी में मिल गया लेकिन
खड़ा है आज भी सर पर लगान पहले सा।

नई हवाओं ने पत्थर को भी जुबां दे दी
क्यों इंसान है अभी बेजुबां पहले सा।

न पहले जैसे रहे घर के आदमी यारो
न ये मकान रहा वो मकान पहले सा।


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