उम्मीद की किरण
थोड़ी सी रोशनी अभी बाकी है
उम्मीद कहां अभी हारी है
आज नहीं तो कल वादा है
संघर्ष की कहानी देखने को दुनिया राजी है।।
इस बार घनघोर घाटाओ की बारी है
नाभिक की पतवार भी पुरानी है
ना छोर है ना कहीं कोई किनारा
फिर भी संघर्ष की महागाथा अभी जारी है।
मंज़िल का तो पता नहीं
रास्तों अनजान यह कहानी है
आज नहीं तो एक दिन ही सही
ये पतवार अंजाम तक जाने वाली है।
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