हमेशा क्यों उन्हें ही सिखाया जाता हैं,



 हमेशा क्यों उन्हें ही सिखाया जाता हैं,
  
 हमेशा क्यों उन्हें ही सिखाया जाता हैं,
कहाँ जाना हैं क्या करना हैं ,क्या पहना हैं ,
कहाँ बोलना हैं ,कहाँ चुप रहना हैं ,
ये उन्हें बचपन से सिखाया जाता हैं 
वो भी इंसान हैं ,थोड़ी चंचल थोड़ी सी पागल हैं,
कुछ सपने उनके भी हैं यार,
जो उन्होंने पूरा करने की ठानी हैं,
फिर क्यों....किसी और की वजह से उसकी उमीदों को मार दिया जाता हैं ,
और जब ससुराल में अत्याचार बढ़ रहे होते हैं ,
तो फिर क्यों उसको समाज के डर से चुप कर दिया जाता हैं ,
सिर्फ तुमारी इज़्ज़त न जाएं,
इसलिए उसकी जान को दांव पर रख दिया जाता हैं ,
कितने सपनो को वो बेचारी मन में दबा लिया करती हैं,
अपना घर छोड़ ,दूसरे के घर को सँवार दिया करती हैं,
दुख का दामन समेट ,सुख की मिठास बॉट दिया करती हैं।

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एक छोटी बच्ची के दर्द की कहानी ,
उसी की जुबानी......
कुछ आँखों के ख्वाब,आँखों में ही रह गए,
जिन्होंने बचपन को मेरे रौंदा ,वो मरे बिना कैसे रह गए,
क्या हुआ ,कैसे हुआ,ये पता नही चला,
पर दर्द जो हुआ वो सहा नही गया,
जब रोते भिलखते घर गयी मैं,
बताया कि क्या सह रही हूँ मैं,
घर की इज़्ज़त के कारण दर्द मेरा भुलाया गया,
जब ये देखना ही था,
तो क्यों....इस दुनिया में मुझे लाया गया।

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सख्त एतराज़ था तुझे इश्क़ से,
तेरा बहाना है यह,
के मैंनें  मोहब्बत की है ,  इश्क नहीं


जहाँ इश्क़ मापने का पैमाना जात-धर्म था,
जहाँ नजर मिलाना भी संगीन जुर्म था,
वहाँ  तेरा हाथ पकड के , मैंने तोहमत ली है, समाजों की 
खैर तेरा बहाना है यह,
मैंने इश्क़ नहीं,मोहब्बत की है ।।







हजारो ख्याल टकराते है,
कुछ दिल मे समा जाते है,
कुछ खास हो जाते है,
कुछ राख हो जाते है,
कुछ छाप छोड देते है,
कुछ बेदाग हो जाते है,

कुछ टूटे शीशे की तरह बिखर जाते है,
हकीकत बन जाए तो निखर जाते है,
कोई ख्याल मैला भी,कोई ख्याल मे अहम,
कोई ख्याल एसा भी जो बस अंदरूनी जख्म,

कोई ख्याल उसका भी,
कोई ख्याल जीने का नुस्खा भी,
कोई ख्याल जिससे होठ ले जाएं अंगडाई,
कोई ख्याल सुंदर इतना की उसकी तस्वीर लगे पराई,

कोई ख्याल चाँद सितारों का,
कोई ख्याल मेरे घर की उखडती दिवारों का,
कोई ख्याल कुछ करीबियों का,
कोई ख्याल कुछ नजदीकियों का ।।










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