अधूरी कहानी..

 कुछ कहानी हमेशा अधूरी रह जाती है 
लेकिन उस अधूरेपन में भी वो पूरी हो जाती है 
मिलन का सुख ही सिर्फ कहानी पूरी नही करता
विरह की तड़प भी इस कहानी में है रंग भरता 
कभी-कभी कहानी पूरी होकर भी पूरी नहीं होती
 और कभी अधूरी होकर भी अपना वजूद नहीं खोती


  मंज़िल मिलने की बाद फिर एक अधूरापन आ जाता
 कोई राह नहीं, कोई साथी नहीं ना ही कोई रोमांच होता 
सब मंजिल पर पहुंचने के बाद जैसे कहीं खो से जाते हैं
 मुट्ठी भरी होने की भी बाद जैसे रेत से फ़िसल जाते हैं
 या ये कहूँ जिंदादिली की जगह एक अधूरापन आ जाता 
है 
किरदारों की बीच जो बना था वो अपनापन खो जाता है 


वैसे कभी कोई कहानी यहांँ पूरी कहांँ होती है 
एक ठहराव के बाद फिर आगे की तैयारी होती है
 कहांँ खुश रह पाया ये इंसान कुछ पाने के बाद
 और पाने की चाह होतो उसे मिल जाने के बाद
 बस वो चलता रहता उस अनंत की खोज में 
जो कभी पास था ही नहीं उसके वियोग में 


एक ऐसे सफ़र की खोज में चल पड़ा जहां वो अनजान 
है 
वहां बस रोशनी की साया है न किसी की कोई पहचान है ना जान पाया वो कभी की वो किस मंजिल की खोज़ में 
क्या लक्ष्य लेकर वो चल पड़ा था इन अनजान राहों में 


वो चल पड़ा कभी राहों तो कभी हमराही के साथ में 
और साथ वक्त के सभी छूटते गए कहीं एक शून्य में
 बस सफर चलता रहा एक अधूरेपन के साथ
वो चलता रहा अपनी यादों और अनजानी चाहत के
 साथ...

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