जीवन पाथ:जीवन के संघर्ष पर कविता

                  जीवन पथ: जीवन के  संघर्ष 

जन्म से लेकर अब तक के सफर में हम अपने जीवन में बहुत कुछ देखते हैं, कुछ खट्टा तो कुछ मीठा, कभी सुख तो कभी दुख का सामना करना पड़ता है फिर भी हम लोग कठिनाइयों को सामना करके आगे बढ़ते जाते हैं ।                
               जीवन की इसी संघर्ष पर आधारित एक कविता- जीवन पथ:जीवन के संघर्ष पर कविता आप लोगों के सामने पेश है ।         
        
        इस दुनिया में न जाने कितने रंग हमने देखे हैं
        यहाँ तकलीफों के  तमाशे बनते भी बहुत देखें हैं 

        हँसते हुए को छुपछुप कर रोते भी यहांँ देखे है
        फुटपाथों पर बच्चों को सोते भी हमने देखा है

        मां को आँचल में सिसकते भी हमने देखा है
        अहं मैं घरों को बिखरते भी हमने देखा है 

        किसी को रोटी के लिए तरसते देखा है
        खिलौंनों पर बचपन की मचलते देखा है

        रोटी के लिए तड़पते बूढों को भी हमने देखा है
        खिलौनों पर मचलते बचपन को भी यहां देखा है

       मुश्किलों में मुंह  मोड़ते भी हमने यहां देखा है
       परायों के लिए अपनों को छोड़ते भी देखा है

       तो कहीं टूजे के लिए अपनी हस्ती मिटाते देखा है 
       हाँ यहां कुछ मसीहों को मैंने बस्ती बसाते देखा है

       मैंने झोपड़ी में इंसानियत को पलते देखा है
       और शहरों में आबरू को मैंने बस्ती बसाते देखा है

      कहीं ज़ायदाद के लिए भाइयों को झगड़ते देखा है
      तो कहीं दो कमरों में भी हिलमिल कर रहते देखा है

      सच में यहां लोगों को पल-पल रंग बदलते देखा है
      यहाँ मैंने लोगों को बस पैसों पर मरते देखा है।। 
                                                -Pranti 

Comments

Popular posts from this blog

गणतंत्र अब ठिठुर गया

आधी आबादी :पूरी आजादी

शिशु की कामना"