आधी आबादी :पूरी आजादी
छू ले हर ऊंचाई तू
किसने तुझको रोका है,
बार कल कुछ और थी
फिर से आज मौका है।
पर खोल के हो आजाद
डर ना इस आसमान से,
कमर कस ले आज हो
लड़ना है अभी जहान से ।
ये बंदिशें ये बेड़ियाँ
तुझे ना रोक पाएंगे,
इरादों को शमशोन कर
ये खुद ही टूट जाएगी।
सर झुके थे, सर झुकेंगे
फिर से तेरे सामने,
थी मज़ाल कब किसी को
तुझे झुका दे अपनी शान में।
तूने तो हतिहास रचा है
अब तक अपने काम से,
बनी है बनतो रहेंगी
गाथाएँ तेरे नाम से।
तू किसी से कम नहीं है
प्रचंड तेरे काया है,
शिकस्त होके चित पड़े
जिसने भी आज़माया है।
चीर के फ़लक को तूने
धवज ऊँचा लहराया है,
सर उठा के देख ले
वह वक्त फिर से आया है।
सर उठा कर देख ले
वह वक्त फिर से आया है।।
- pranti deka
आधी आबादी को पूरी आज़ादी अवश्य मिलनी चाहिए..
ReplyDeleteThanks for your beautiful comment
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